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वाहन स्क्रैप पॉलिसी: पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करने के फायदे और प्रक्रिया
भारत सरकार ने वाहन स्क्रैप पॉलिसी के तहत पुरानी और प्रदूषणकारी गाड़ियों को स्क्रैप करने की प्रक्रिया शुरू की है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण कम करना और सड़क सुरक्षा में सुधार करना है। आइए जानते हैं इस पॉलिसी के बारे में विस्तार से:
वाहन स्क्रैप पॉलिसी के मुख्य बिंदु
- प्रभावित वाहन:
- सरकारी वाहन: 15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहन।
- निजी वाहन: 20 साल से अधिक पुराने निजी वाहन (कुछ क्षेत्रों में 10-15 साल के डीजल/पेट्रोल वाहन भी शामिल हो सकते हैं)।
- लागू तिथि:
- सरकारी वाहन: 1 अप्रैल 2025 से (कुछ रिपोर्ट्स में 11 अप्रैल भी बताया गया है)।
- निजी वाहन: फिटनेस टेस्ट के आधार पर।
- स्क्रैपिंग प्रक्रिया:
- फिटनेस टेस्ट: आरटीओ या ऑथराइज्ड टेस्टिंग सेंटर में फिटनेस टेस्ट कराना होगा।
- स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट: फिटनेस टेस्ट में फेल होने पर सरकारी मान्यता प्राप्त स्क्रैपिंग सेंटर में गाड़ी जमा करें।
- रजिस्ट्रेशन रद्द करना: स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट के साथ आरटीओ में रजिस्ट्रेशन रद्द कराना होगा।
फायदे
- पर्यावरण संरक्षण: पुरानी गाड़ियों को हटाकर वायु प्रदूषण कम होगा।
- आर्थिक लाभ: नई गाड़ी खरीदने पर रजिस्ट्रेशन फीस और रोड टैक्स में छूट मिलेगी।
- स्क्रैपिंग से आय: गाड़ी के वजन और मेटल की कीमत के अनुसार पैसा मिलेगा।
- सड़क सुरक्षा: पुरानी और खराब स्थिति वाली गाड़ियों को हटाने से सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
स्क्रैपिंग सेंटर
- मान्यता प्राप्त सेंटर: Maruti Suzuki, Tata Motors, Mahindra जैसी कंपनियों के सेंटर।
- जानकारी: Ministry of Road Transport and Highways की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
FAQs
वाहन स्क्रैप पॉलिसी क्या है?
वाहन स्क्रैप पॉलिसी पुरानी और प्रदूषणकारी गाड़ियों को स्क्रैप करने के लिए बनाई गई है, जिससे प्रदूषण कम हो और सड़क सुरक्षा में सुधार हो।
कौन सी गाड़ियां प्रभावित होंगी?
15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहन और 20 साल से अधिक पुराने निजी वाहन प्रभावित होंगे।
स्क्रैपिंग के क्या फायदे हैं?
स्क्रैपिंग से पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक लाभ (नई गाड़ी खरीदने पर छूट), और स्क्रैपिंग से आय मिलती है।