AICTE: पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने आगामी सत्र से इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, फार्मेसी और मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों के लिए पर्यावरण विषय की पढ़ाई अनिवार्य कर दी है। इस निर्णय के पीछे सर्वोच्च अदालत के निर्देश हैं, जो पर्यावरण शिक्षा को स्नातक पाठ्यक्रमों में शामिल करने पर जोर देते हैं।
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पर्यावरण शिक्षा के मुख्य पहलू
- पाठ्यक्रम: जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण, जैविक संसाधनों और जैव विविधता का प्रबंधन, वन और वन्य जीवन संरक्षण, सतत विकास।
- क्रेडिट और अध्ययन: एक सेमेस्टर में एक क्रेडिट अनिवार्य होगा, जिसमें 30 घंटे की क्लासरूम अध्ययन और फील्ड वर्क शामिल होंगे।
- केस स्टडी और फील्ड वर्क: छात्रों को 30 घंटे की केस स्टडी के साथ फील्ड वर्क भी करना होगा।
AICTE की भूमिका
AICTE एक राष्ट्रीय स्तर की सलाहकार संस्था है, जो तकनीकी शिक्षा के विकास और विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, वास्तुकला, प्रबंधन, फार्मेसी आदि क्षेत्रों में गुणवत्ता आश्वासन और मानकों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है[1][2][3].
FAQs
1. क्या पर्यावरण शिक्षा के लिए कोई विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया गया है?
हाँ, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पर्यावरण शिक्षा पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किया है।
2. पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम में क्या शामिल है?
इसमें जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण आदि विषय शामिल हैं।
3. क्या पर्यावरण शिक्षा के लिए फील्ड वर्क अनिवार्य है?
हाँ, छात्रों को 30 घंटे की केस स्टडी के साथ फील्ड वर्क भी करना होगा।