ग्रेटर नोएडा में बायो सीएनजी प्लांट की स्थापना: स्वच्छता और ऊर्जा का नया अध्याय
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अस्तौली गांव में एक बायो सीएनजी प्लांट स्थापित करने की पहल की है। रिलायंस बायो एनर्जी कंपनी को इस परियोजना की जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें 11 एकड़ जमीन लीज पर प्रदान की गई है। इस प्लांट का उद्देश्य रोजाना 300 टन गीले कचरे को प्रोसेस कर बायो सीएनजी गैस बनाना है, जिसे वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
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प्रमुख विशेषताएं
- स्थान: अस्तौली गांव, ग्रेटर नोएडा
- क्षमता: प्रतिदिन 300 टन गीले कचरे का प्रोसेसिंग
- समय सीमा: डेढ़ साल में निर्माण कार्य पूरा होगा
- रॉयल्टी: प्राधिकरण को प्रति टन कचरे पर ₹225 की रॉयल्टी मिलेगी
परियोजना के लाभ
- कचरा प्रबंधन: ग्रेटर नोएडा में कचरे के वैज्ञानिक और प्रभावी निपटान की समस्या हल होगी।
- स्वच्छ ऊर्जा: बायो सीएनजी गैस वाहनों के लिए ईंधन का स्वच्छ विकल्प प्रदान करेगी।
- राजस्व वृद्धि: प्राधिकरण को रॉयल्टी और अन्य लाभों के माध्यम से आर्थिक मजबूती मिलेगी।
- पर्यावरण संरक्षण: यह परियोजना स्वच्छ भारत मिशन को समर्थन देगी और लैंडफिल उपयोग को कम करेगी।
FAQs
1. यह प्लांट कब तक तैयार होगा?
प्लांट डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएगा।
2. क्या इस परियोजना से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा?
हाँ, प्लांट के निर्माण और संचालन में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
3. बायो सीएनजी गैस का उपयोग कहां होगा?
बायो सीएनजी गैस वाहनों, विशेषकर सिटी बसों, को ईंधन के रूप में उपयोग किया जाएगा।
यह पहल ग्रेटर नोएडा को स्वच्छ और हरित शहर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।