मुगल काल की कर प्रणाली: एक जटिल और क्रूर व्यवस्था
मुगल काल में कर प्रणाली न केवल राजस्व का स्रोत थी, बल्कि सत्ता और नियंत्रण का भी एक महत्वपूर्ण औजार थी। इस प्रणाली ने न केवल राज्य को मजबूत किया, बल्कि आम लोगों पर भी गहरा प्रभाव डाला।
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मुख्य कर प्रणालियां
- जमीनी कर (लगान): अकबर ने भूमि सर्वेक्षण कराकर उपज क्षमता के अनुसार कर वसूल किया।
- जज़िया: औरंगजेब ने गैर-मुसलमानों पर व्यक्तिगत कर लगाया।
- खराज: गैर-मुस्लिम किसानों से भूमि कर।
- आबवाब: कृषि और व्यापार पर अतिरिक्त टैक्स।
- मनसबदारी कर: राज्य के अधिकारियों और सेनापतियों के दर्जे के अनुसार वसूली।
कर प्रणाली का प्रभाव
- राज्य को लाभ: विशाल सेना और शाही दरबार का खर्च इसी से चलता था।
- विदेशी व्यापारियों को लाभ: उन्हें अक्सर टैक्स छूट मिलती थी।
- स्थानीय व्यापारियों और किसानों को नुकसान: उन्हें कई गुना टैक्स देना पड़ता था।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
- धार्मिक भेदभाव: जज़िया कर ने समाज में विभाजन को बढ़ावा।
- आर्थिक असमानता: किसानों और शिल्पकारों की स्थिति खराब हुई।
- सत्ता का प्रदर्शन: कर प्रणाली ने मुगल सत्ता को मजबूत किया।
FAQs
1. मुगल काल में कर प्रणाली का मुख्य उद्देश्य क्या था?
मुख्य उद्देश्य राजस्व संग्रह के साथ-साथ सत्ता और नियंत्रण को मजबूत करना था।
2. कौन से कर प्रणाली ने सबसे अधिक विवाद पैदा किया?
जज़िया कर ने धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा दिया और विवाद पैदा किया।
3. मुगल काल में विदेशी व्यापारियों को क्या विशेषाधिकार मिले थे?
उन्हें अक्सर टैक्स छूट और विशेष अनुमतियां मिलती थीं।