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सुप्रीम कोर्ट ने 100% VVPAT पर्चियों की मैनुअल गिनती की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनावों में 100% VVPAT (वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों की मैनुअल गिनती की मांग करने वाली याचिका को अस्वीकार कर दिया। याचिकाकर्ता हंसराज जैन ने यह याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने EVM के साथ जुड़े प्रत्येक VVPAT की मैनुअल गिनती और मतदाता को अपने वोट की पर्ची जांचने का अधिकार देने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला पहले ही निपटाया जा चुका है और इस पर दोबारा सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
पहले भी उठ चुका है यह मुद्दा
यह मुद्दा पहले भी कई बार अदालत में उठाया गया है। 2019 में विपक्षी दलों ने सभी EVM के 50% VVPAT पर्चियों से मिलान करने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था। इसके बजाय, चुनाव आयोग ने हर निर्वाचन क्षेत्र में केवल 5 EVM का मिलान करने का प्रावधान किया। 2023 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा इसी विषय पर याचिका लगाई गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
अदालत का तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने 100% मैनुअल गिनती को अव्यवहारिक बताते हुए इसे अस्वीकार किया। अदालत ने कहा:
- गिनती में देरी: 100% मैनुअल गिनती से परिणाम घोषित करने में देरी होगी।
- मानव त्रुटि: मैनुअल गिनती में गलतियों और जानबूझकर छेड़छाड़ का खतरा बढ़ सकता है।
- प्रशासनिक चुनौतियां: इतनी बड़ी संख्या में VVPAT पर्चियों की गिनती प्रशासनिक रूप से कठिन होगी।
- डेटा का अभाव: अब तक EVM-VVPAT डेटा में कोई असंगति नहीं पाई गई है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका क्यों खारिज की?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला पहले ही निपटाया जा चुका है और चुनाव प्रक्रिया पर अत्यधिक संदेह उचित नहीं है।
क्या सभी VVPAT पर्चियों की गिनती संभव है?
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, 100% VVPAT पर्चियों की मैनुअल गिनती प्रशासनिक रूप से कठिन और समय लेने वाली प्रक्रिया होगी, जिससे चुनाव परिणामों में देरी हो सकती है।
क्या EVM और VVPAT प्रणाली सुरक्षित हैं?
सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग दोनों ने EVM और VVPAT प्रणाली को सुरक्षित और पारदर्शी माना है। अब तक इनके डेटा में कोई असंगति नहीं पाई गई है।